Description
- इससे नकारात्मक उर्जाओं से सुरक्षा होती है.
- ये पापो का क्षय करता है.
- रुद्राभिषेक से जीवन में शांति और समपन्नता आती है.
- ये बीमारियों को दूर करने में मदद करता है.
- जो लोग नौकरी ढूँढ रहे हैं उनके लिए नए मार्ग खुलते हैं.
- जो लोग जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं उनके लिए रास्ते खुलते हैं.
- कुंडली के दोषों को दूर करने का भी ये एक अच्छा तरीका है.
- वास्तु दोषों को भी दूर किया जा सकता है इस प्रयोग के द्वारा.
- अगर कोई कानूनी समस्याओं से जूझ रहा हो तो भी रुद्राभिषेक इसमे बहुत मदद कर सकता है.
- जहा भी रुद्राभिषेक होता है वह से नाकारात्मक ऊर्जा पलायन कर जाती है.
- इसके अध्यात्मिक और भौतिक, दोनों लाभ होते हैं.
- अगर आप भगवान् शिव के उपासक है तो रूद्र पूजा करना चाहिए.
- अगर आप अपने व्यक्तिगत और कामकाजी जीवन में परेशानी का सामना कर रहे हैं तो भी आपको रूद्र पूजा करना चाहिए.
कौन से शिवलिंग पर करें रुद्राभिषेक?
अलग –अलग शिवलिंग और स्थानों पर रुद्राभिषेक करने का फल भी अलग होता है. आइए हम आपको बताते हैं कि कौन से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना ज्यादा फलदायी होता है…
– मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत उत्तम होता है.
– इसके अलावा घर में स्थापित शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं.
– रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, नदी तट पर और सबसे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है.
– शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं.
अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करने का फल
रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है. ज्योतिष मनाते हैं कि जिस वस्तु से रुद्राभिषेक करते हैं उससे जुड़ी मनोकामना ही पूरी होती है तो आइए जानते हैं कि कौन सी वस्तु से रुद्राभिषेक करने से पूरी होगी आपकी मनोकामना…
– घी की धारा से अभिषेक करने से वंश बढ़ता है.
– इक्षुरस से अभिषेक करने से दुर्योग नष्ट होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
– शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से इंसान विद्वान हो जाता है.
– शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं.
– गाय के दूध से अभिषेक करने से आरोग्य मिलता है.
– शक्कर मिले जल से अभिषेक करने से संतान प्राप्ति सरल हो जाती हैं.
– भस्म से अभिषेक करने से इंसान को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
– कुछ विशेष परिस्थितियों में तेल से भी शिव जी का अभिषेक होता है.
रुद्राभिषेक कब होता है सबसे उत्तम?
कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं. आइए जानते हैं कि कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है…
– रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है.
– शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है.
– शिव जी का निवास तभी देखें जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो.
देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं. महादेव कभी मां गौरी के साथ होते हैं तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं. ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो…
– हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
– हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं.
– शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं.
– शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं.
– रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है.
शिव जी का निवास कब अनिष्टकारी होता है?
शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है…
– कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
– शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
– शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
– कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
– शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
– कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं.
– शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं.
– इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक नहीं किया जा सकता है.
कब तिथियों का विचार नहीं किया जाता?
कुछ व्रत और त्योहार रुद्राभिषेक के लिए हमेशा शुभ ही होते हैं. उन दिनों में तिथियों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होती है…
– शिवरात्री, प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
– सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में भी शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
– रुद्राभिषेक के लिए ये स्थान और समय दोनों हमेशा मंगलकारी होते हैं.
शिव कृपा से आपकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होंगी तो आपके मन में जैसी कामना हो वैसा ही रुद्राभिषेक करिए और अपने जीवन को शुभ ओर मंगलमय बनाइए.
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