सूर्य को जगत पिता कहा गया है इसी की शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है
महर्षि कश्यप के पुत्र। इनकी माता का नाम अदिति है जो दक्ष प्रजापति की पुत्री हैं।
सूर्य ग्रह सिंह राशि का स्वामी है और यही इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है
मेष राशि में सूर्य उच्च होता हैं एवं तुला राशि में नीच
सूर्य से सम्बन्धित नक्षत्र कृतिका, उत्तराषाढा और उत्तराफ़ाल्गुनी हैं.
चन्द्र, मंगल, गुरु ग्रह सूर्य के मित्र हैं, शनि और शुक्र शत्रु तथा बुध के साथ सूर्य सम भाव रखता है
गुरु सूर्य का परम मित्र है,दोनो के संयोग से जीवात्मा का संयोग माना जाता है.गुरु जीव है तो सूर्य आत्मा.
लग्न से दशम भाव में बलि होता है और मकर से 6 राशि पर्यन्त इसे चेष्टा बल प्राप्त होता हे।
सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है, तभी से औपचारिक रूप से वर्षा ऋतू का प्रारम्भ माना जाता है।
सूर्य जब द्वादश भाव में स्तिथ हो तो निज का व्यय होता है अर्थात मनुष्य अपने सुखों का त्याग दूसरो के लिए करता है। वह दूसरों का खूब आतिथ्य करके स्वम हानि उठाता है।
मन का कारक चन्द्र है परन्तु मन की पवित्रता का सूर्य
सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में ४० से ५० वर्ष के व्यक्ति को देना चाहिए.
स्वभाव: चौकौर, छोटा कद, गहरा लाल रंग, पुरुष, क्षत्रिय जाति, पाप ग्रह, सत्वगुण प्रधान, अग्नि तत्व, पित्त प्रकृति है।
कारकत्व: यह आत्म कारक एवं पिता का कारक है, पुत्र, राज्य, सम्मान, पद, भाई, शक्ति, चिकित्सा, पितरो की आत्मा, स्वर्ण, तांबा, फलदार वृक्ष, छोटे वृक्ष, गेंहू, भगवान भोले नाथ और राजनीति का कारक ग्रह है.
व्यवसाय तथा नौकरी- सूर्य राजा है अत: सरकारी नौकरी, सरकारी संस्थाएं, रक्षक, सुरक्षा, ऊर्जा निर्माण केन्द्र, नियंत्रण कक्ष सूर्य से जुड़ा है। सूर्य जीवन प्रदाता है इसलिए अनाज के गोदाम, राशन दुकान, धान से जुड़े कारोबार, होटल, कैंटीन सूर्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। सूर्य रोग प्रतिकारक शक्ति का कारक है इसलिए प्रत्येक प्रकार के टीके व दवाइयों आदि से जुड़े कारोबार, जेनरेटर, विद्युत निर्माण केन्द्र आदि सूर्य से संचालित होते हैं।
कालपुरुष का शरीर- सूर्य का अधिकार आत्मा, चेतन शक्ति व हृदय पर है। रीढ़ की हड्डी भी सूर्य के अधिकार में है। शरीर में ऊर्जा निर्माण और रोग प्रतिकार शक्ति भी सूर्य के ही अधिकार में है। सूर्य प्रकाश देता है और संसार दिखाता है। अत: दृष्टि व आंखों पर सूर्य का अधिकार है। सूर्य शक्ति निर्माण करने वाला ग्रह है, अत: शरीर में निर्मित होने वाली विद्युत शक्ति पर भी सूर्य का प्रभाव होता है।
रोग तथा बीमारी – दिल की बीमारियां, आत्मशक्ति में न्यूनता, चेतना की कमी, गर्मी की बीमारियां, प्रत्येक प्रकार के बुखार, सिर के अंदरूनी हिस्से में चोट-चपेट व रीढ़ की हड्डी की तकलीफ सूर्य से संबंधित है। सूर्य अग्नि का कारक ग्रह है, अत: हाजमे मे तकलीफ, श्वेत मांसपेशियों में दर्द और दृष्टि में दोष सूर्य से जुड़ा है।
सूर्यग्रह की अनुकूलता हेतु
आराध्य देव- ‘विष्णु भगवान’
वैदिक उपाय : सूर्य के वैदिक मंत्र का सात हजार जप करना चाहिए। वैदिक मंत्र से सूर्य भगवान को प्रातः काल जल का अर्घ्य सिंदूर या लाल फूल डालकर देना चाहिए।
वैदिक मंत्र : ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्न मृतं मर्त्त्यंन्च हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।
तांत्रिक मंत्र
1. ऊँ ह्रां हृीं हृौं सः सूर्याय नमः
2. ऊँ घृणि सूर्याय नमः
(तांत्रिक उपाय) सूर्य के उपर्युक्त मंत्र का जप अठ्ठाईस हजार करना चाहिए।
आदित्य हृदय स्तोत्रम् का पाठ चालीस दिन करना चाहिए।
सूर्य गायत्री मंत्र (एक बार): आदित्याय विद्महे प्रभाकराय धीमहि तन्नोः सूर्य प्रचोद्यात्॥
सूर्य यंत्र : सूर्य के यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से अनार की कलम से रविवार को लिख कर पंचोपचार पूजन कर, अथवा ताम्र पत्र पर गुरु पुष्य, रवि पुष्य, अमृत योग काल उत्कीर्ण करा कर लाल धागे में गूंथ कर गले या बांह में रविवार को प्रातः काल धारण करना चाहिए।
व्रत का विधान : ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से प्रारंभ कर कम से कम बारह और अधिक से अधिक तीस व्रत (11, 12, 21, 30) रखें। सूर्यास्त से पूर्व गेहूं की रोटी, गुड़ या गुड़-गेहूं-घी से बना हलुआ खाएं। नमक बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। दिन में लाल वस्त्र धारण करें तथा लाल चन्दन का टीका (तिलक) करें।
दान : सोना, माणिक्य, तांबा, गेहूं, गुड़, घी, पुष्प, केसर, मूंगा, लाल गाय, रक्त वस्त्र, रक्त, चामर, रक्त चंदन रविवार को दान करना चाहिए।
हवन : समिधा, आक की लकड़ी। औषधि स्नान : मैनसिल, इलायची, देवदारू, केसर, खस, मूलहट्टी, रक्त पुष्प, को जल में डाल कर स्नान करना चाहिए।
रत्न धारण : सूर्य का रत्न मणिक्य 5( रत्ती से अधिक 7( रत्ती तक स्वर्ण या ताम्र में मंढ़वा कर, रविवार को कच्चे दूध एवं गंगा जल से धो कर, प्राण प्रतिष्ठा ब्राह्मणों से करा कर या सूर्य के किसी तांत्रिक मंत्र को ग्यारह बार पढ़ कर सीधे हाथ की अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण :
पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
बारह मुखी रुद्राक्ष भगवान सूर्य के बारह रूपों के ओज, तेज और शक्ति का केन्द्र बिन्दू है। इसे जो भी पहनता है उसे हर तरह का धन वैभव ज्ञान और सभी तरह के भौतिक सुख मिलते है।
एकमुखी रुद्राक्ष की पूजा करें। अथवा धारण करें
स्वास्थ्य के लिए तीनमुखी या छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
कड़ा: तांबे का कड़ा पहनें
जड़ी धारण : रविवार की प्रातः काल को जडी़ ( इंच का टुकड़ा लाल कपड़े में सी कर गंगाजल से यंत्र को धो कर, सीधे हाथ में धारण करना चाहिए।
उपाय
सूर्य शिव के मंदिर में रहता है अतः शिव मंदिर में भोलेनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए
ग्यारह या इक्कीस रविवार तक गणेश जी पर लाल फूलों चढ़ाएं |
रोज 12 ज्योतिर्लिंगों के नामों का स्मरण करें।
सूर्य को मजबूत करने के लिए सूर्य को ताम्बे (ताम्र) के लोटे से “जल, गंगाजल, चावल, लाल फूल(गुडहल आदि), लाल चन्दन” मिला कर अर्घ्य दें | जल देते समय ॐ अदित्याये नमः अथवा ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः का जाप करे ।
सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
सुबह को सूर्य को नमस्कार करना चाहिये,यह सूर्योदय के समय ठीक रहता है.
नदी की धारा में तांबे के पैसे फेकें।
गायों को गुड और गेंहूं रविवार को खिलाना चाहिये
विष्णु भगवान का पूजन करें |
एक चीज का ध्यान रखना चाहिए कि सूर्य के कारक वस्तुओं का दान कभी भी सुबह या शाम के समय नहीं करना चाहिए । यह सूर्य को कमजोर करता है। इसे दोपहर के समय दान करना चाहिए जब सूर्य मजबूत होता है।
हाथ में घड़ी अवश्य पहने.
रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए। सुबह किसी भी अवस्था में सूर्योदय से पहले ही उठकर ताम्बे के बर्तन का पानी पियें.
किसी भी कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व थोडा मीठा मुहँ में डाल कर पानी पी लें.
लाल चन्दन या केशर का तिलक लगायें.
सुर्यानर मंदिर कुम्भकोनम या सूर्य मंदिर कोणार्क की तीर्थयात्रा करें.
सूर्य यदि शनि या राहू के साथ हो तो विधिवत रुद्राभिषेक करवाना चहिये