प्रेत कितने प्रकार के होते ?
डाकिनी – अति भयंकर , निर्दय , स्मशान में मुर्दे और बच्चे को खाती है
शाकिनी – अविवाहित लड़की जब मर जाती है तो वो शाकिनी बनती है
जखिन – बुद्दी ओरत बन के फिरती है उसके बल सफ़ेद और बंधे हुवे नहीं होते है जो कोई उसके साथ सम्बन्ध बनाता है वो उस इन्सान का कल्याण करती है इस लिए कोई कोई उसको ” बलवंत ” के नाम से भी जानता है जब ओरत गर्भवास्ता या रजस्वला में मरी हुई सौभाग्यवती स्त्री के भुत को जखीन कहा जाता है
लाल या लावसर – रजस्वला अवस्था में जिनकी मृत्यु हो जाती है उसको लाव कहते है ये विधवा का भुत होता है ये स्मशान में रहती है और यो पसु पंखी को हेरान करती है मुर्दा उसका भोजन है
सटवाई – सगर्भा ओरतो को परेसान करती है पैदा हुए बच्चो को पांचवे या छठे दिन मार देती है
हदल – स्वभाव में बोहोत ही ख़राब , दुष्ट ,सुन्दर रूप लेके इन्सान को फसाती है उनका शिकार ज्यादातर बच्चे होते है ,जिन ओरत को बच्चा होता है और वो दस दिन के अन्दर मर जाती है वो खिजदा के पेड़ ऊपर रहती है और रातको हरे रंग के कपडे पहन के शिकार करती है
ये स्त्री वर्ग के भुत है अब पुरुष वर्ग के भूतो के बारे में जानेगे
भुत + पिचास – ये ज्यादा इंसानों को परेसान नहीं करते जब इनकी इच्छा होती है तभी वो बहार आते है इनको अंडे ,तीखा और ज्वार की ठंडी रोटी पसंद है
खाविस – लमान, मुस्लमान या म्हार लोगो के भुत को खाविस कहा जाता है वो १५ से १७ फिट ऊँचे होते है अविवाहित पुरुस मरने के बाद खाविस बनते है ये गुस्सेल होते है लेकिन खुस होने पर इन्सान को जो चाहेये वो देता है ये सफ़ेद रंग में होते है उनके पैर उलटे हो ते है वो जिनका चाहे रूप ले सकते है
भ्रमभुत – रत को या दिन को एकदम वीराने में या पीपल के पेड़ निचे स्नान संध्या करते है किसीको परेसान नहीं करते अगर किसी ब्रह्मण का खून होता है तो वो ब्रह्मभुत बनता
बेताल – इसको भूतो का राजा माना जाता है इसको सिद्ध करने पर ही आता है वो किसी के सरीर से भुत निकालना हो या प्रेत ग्रस्त इन्सान को ठीक करना हो तो मदद करता है सभी भुत इसकी बातो को मानते है इनके मंदिर भी होते है ये मुर्दे में भी जान दाल सकते है वेताल के दो रूप है एक रूद्र और एक जो आग लगाता है ये नग्न रहते है ये उनकी निसानी है तमिलनाडु में वेताल को अथ्य्नार , दुर्ग में मलदेव , तेलंगन में पेंक्तासु भी कहते हे
जोड़ – मुसलमान , कोली , खारवा की आत्मा ओ को जोड़ कहा जाता है ये एक पेड़ पर एक पैर और दुसरे पेड़ पर दूसरा पैर रखकर खड़ा रहता है इसको गर्दन नहीं होती है जिस पैड पर ये रहते है उसके निचे से जाने पर इन्सान बीमार पद जाता है
गिरहा – पानी डूबकर या पानी के अन्दर जिनका खून होता है वो गिरहा बनते है वो पानी में ही रहते है रात को अकेले जा रहे इंसान को आवाज लगा कर बुलाता है रात को नाव लेके जा रहे नाविकों को आवाज दे कर बुलाता है और गहरे पानी में लेजाकर डूबा देता है वो ज्यादा शक्ति साली नहीं होते अगर कोई उनके सर का एक बाल तोड़ ले तो वो उसके गुलाम बन जाते है
मुंजा -ब्रहमचारी युवान ,रूपवान ब्रहामन या ब्रहमचारी की मृत्यु होती है तो वो मुंजा बनता है ये पीपल के पेड़ पर रहता है और आने जाने वालो को परेसान करता है उसके कमर पर घंटिया होती है उसको बजाकर वो सबको परेसान करता है
देवचार – विवाहित शुद्ध मृत्यु के बाद जिसका अग्निसंस्कार ठीक से नहीं किया जाता वो देवचार बनता है गाव के सभी भुत उसके आधीन रहते है मुर्गी या बकरी की बलि उसको पसंद है और ये पुरे गाव की रक्षा करता है
पितृ – ये भुत छोटे होते है और जुंड में रहते है तांत्रिक उनको बस रखते है और ये परेसान ज्यादा करते है
वीर – अतिसय सुरवीर ,शक्तिशाली सभी भूतो के मालिक होते है दिन रात गुमते है किसीका भी रूप ले सकते है डरते है किसके भी सरीर में जा सकते है आग पैदा कर सकते है दिया जला सकते है अमावस्या के दिन ये ज्यादा दिक्ते है इन्सान को पकड़ के उनके सरीर में जा कर उनकी इच्छा को मनवाते है इनको पहचानना बहुत ही कठिन है वो वायु रूप होते है इस लिए उनको पकड़ना यानि अपनी मृत्यु को बुलाना होता है
आशेव – नाक से बोलता है अतिभ्यंकर प्रकार का पिचास है
चुडेल -इस प्रकार के भुत के पैर उलटे होते हे
गोल बियावानी – हाथ में मसाल के साथ जंगलो में गुमता है
दरया – आकार में अति प्रचंड होते है उसके सर पर सिंग होते है उनके पंजे भी बोहोत बड़े होते है
हमजाद – इंसानों के साथ रह सकता है उनको वस् में किया जा सकता है ज्यादा परेसान नहीं करते
और भी इस प्रकार के बोहोत से भुत पिचासो का वर्णन है जिनको हम नाल्खाम्भा ,जिद , पिलर , डाकिनी , कुस्थामंदा , मंत्री , भूचर , खेचर , जलाई , जोगनी , गावती ,मधुपर्वानी , मस्ख्वानी , और नाधोबा कहते हे