दुकान या शो रूम का वास्तु

वर्तमान युग में करोड़ो लोग व्यापार को अपनी आजीविका बनाये हुए है।वह चाहे दुकान हो या शो रूम चाहे किराने का, दवा का, स्टेश्नरी का, गिफ्ट शाप, कपड़े का, सोने चाँदी का, टेलरिंग का,ऑटो पार्ट्स का, मोबाईल का, इलेक्ट्रॉनिक्स का, पेंट्स का, हार्डवेयर का,लोहे का, फर्नीचर का चाहे कोई भी काम हो कोई भी क्षेत्र हो करोडो लोग इनसे अपनी आजीविका चला रहे है।
इनमें सभी व्यक्ति चाहते है कि उनका व्यापार खूब फले फूले इसके लिए वह अथक प्रयास करता है,लेकिन अनेको बार ऐसा भी देखा गया है कि तमाम प्रयासों, अत्यधिक परिश्रम के बावजूद भी उसे संतोषजनक सफलता नहीं मिल पाती है । इसका एक प्रमुख कारण उसकी दुकान, उसके व्यापारिक स्थल का वास्तु दोष भी हो सकता है । अत: व्यापार करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें की उसकी दुकान वास्तु सम्मत है अथवा नहीं , अगर नहीं तो उसमें कितना सुधार किया जा सकता है । ध्यान रहे की आपके कार्य / व्यापार पर आपके पूरे परिवार का भविष्य निर्भर होता है अत: यदि आपकी दुकान में वास्तु दोष है तो उसे अवश्य ही दूर करें।
हम यहाँ पर आपको दुकान, शो रूम, व्यापारिक प्रतिष्ठान के आसान से वास्तु के उपाय बता रहे है जिन्हे करके आप निश्चित रूप से लाभ प्राप्त कर पाएंगे।जहाँ तक संभव हो सके आपकी दुकान का प्रवेश द्वार उतर या पूर्व कि ओर ही होना चाहिए ।आप अपनी दुकान अपने आफिस में अपने बैठने की व्यवस्था ऐसे करें की आपका मुख उत्तर की ओर रखें। उत्तर की दिशा कुबेर की दिशा है अत: इस तरफ मुँह करके बैठने से व्यापार में काफी लाभ होता है। उत्तर की तरह मुख करके बैठने से मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय रहता हैं और सामने वाले के ऊपर आपका प्रभाव भी ज्यादा पड़ता है। आपको अपना कैश बॉक्स और महत्वपूर्ण कागज, चैक-बुक आदि भी अपनी दाहिनी ओर रखना चाहिए । इससे धन लाभ के साथ साथ समाज में मान-प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
अगर दुकान में उत्तर की तरफ मुख करके बैठना संभव ना हो तो पूर्व की तरफ मुख करके बैठिये । पूर्व भगवान सूर्य देव की दिशा है इस तरफ चेहरा करके बैठने से भी धन और यश की प्राप्ति होती है। आपकी दुकान के कैश काउंटर ,मालिक या मैनेजर के बैठने के स्थान के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए , यदि मज़बूरी वश वहाँ पर बैठना ही पड़े तो उस बीम को फाल सीलिंग अथवा टाइल्स से अवश्य ही ढक लें और बीम के दोनों और लाल रिबन अथवा कलावा से बाँसुरी को लटका दें ।
यदि आपकी दुकान में कोई द्वार है तो उसे अंदर की ओर ही खुलना चाहिए।दुकान, शो रूम में बिक्री काउंटर पर खड़े सेल्समैनों का मुँह भी पूर्व या उत्तर कि ओर ही होना चाहिए । अपनी दुकान, शो रूम के ईशान कोण को खाली एवं बिलकुल साफ रखे । अपना मंदिर भी आप इसी ईशान दिशा अथवा पूर्व दिशा में ही बनायें।जल की व्यवस्था ईशान, उत्तर अथवा पूर्व दिशा में ही करें। अपनी दुकान, शो रूम में शोकेस , अलमारियाँ और किसी भी प्रकार का भारी फर्नीचर दक्षिण, नेत्रत्य अथवा पश्चिम दिशा में बनवाएं । तथा किसी भी प्रकार का भण्डारण, भारी सामान, तैयार मॉल, मॉल का स्टॉक इसी दिशा में रखें। अपनी दुकान में ग्राहकों के आने जाने के लिए पूर्व तथा उत्तर की दिशा को खाली रखें ।आप जो माल जल्दी बेचना चाह रहे हो उसे वायव्ये कोण में रखें इससे आपका माल शीघ्र ही बिक जायेगा।अपनी दुकान का तराजू आप दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में यदि संभव तो दीवार के पास किसी स्टैंड पर लगाकर रखें । व्यापार में आने वाली बाधाओं और किसी भी प्रकार के वाद विवाद को निपटाने के लिए घर एवं अपनी दुकान में क्रिस्टल बॉल एवं पवन घंटियां लटकाएं।अगर दुकान, शो रूम के अंदर छत अर्थात दुछत्ती बनानी हो तो उसे दक्षिण, नैत्रत्य अथवा पश्चिम दिशा में ही बनवाएं , आप उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र को अवश्य ही खाली और हल्का रखें । जूते चप्पल भी ईशान दिशा में कभी ना उतारे उन्हें भी दक्षिण या पश्चिम दिशा में उतार कर रखें ।कभी भी अपने भवन / आफिस / दुकान के सामने जूते चप्पल ना उतारें। मुख्य द्वार के दोनों तरफ धात्री और विधात्री का वास, ऊपर विघ्न विनायक गणपति गणेश जी और नीचे श्री देहली का निवास माना जाता है अत: जूते चप्पल मुख्य द्वार के किनारे किसी अलमारी में ही रखने चाहिए एवं मालिक और कर्मचारियों को अपने व्यापारिक स्थल को प्रणाम करते हुए दाहिना पैर अंदर रखना चाहिए।अपने दुकान का कचरा दुकान के मुख्य द्वार के सामने नहीं इकट्ठा करें वरन उसे समेट कर कहीं दूर फिकवायें। कूड़ेदान मुख्य द्वार के सामने नहीं होना चाहिए ।ध्यान दीजिये की आपकी दुकान, आफिस या फैक्ट्री के मुख्य द्वार के सामने द्वारवेध अर्थात बिजली का खम्बा, सीढ़ी या कोई पेड़ ना हो यदि हो तो आप उसका उपाय अवश्य ही करें । दुकान, शो रूम में बिजली का मीटर , स्विच बोर्ड आदि यथसंभव अग्नेय कोण में लगाएं और रौशनी की व्यवस्था उत्तर , ईशान एवं पूर्व की तरफ ही करें ।अपने व्यापार में बरकत के लिए अपनी दुकान की चौखट पर पवित्र वीसा यंत्र अवश्य ही लगवाएं तथा इसे नित्य सुबह शाम धुप अगरबत्ती अवश्य ही दिखलाते रहे ।

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