राजयोग में सूर्यदेव जायेंगे दक्षिण की ओर जिससे मंगलमय होंगे अगले छः महीने
Writer : Dr. Ravi Sharma Editor : Jyotish Samrat Panchang वर्ष के सबसे बड़े दिन के साथ ही शुरू होने वाली है देवताओ की रात्रि एवं राक्षसों का दिन, सूर्यदेव चलेंगे दक्षिण की ओर राजयोग में सूर्यदेव जायेंगे दक्षिण की ओर जिससे मंगलमय होंगे अगले छः महीने 21 जून को प्रातः...
read more*अपरा काशी “जयपुर” में ज्योतिषियों का सजेगा महाकुम्भ ।*
*अपरा काशी "जयपुर" में ज्योतिषियों का सजेगा महाकुम्भ ।* पंजीकरण हेतु संपर्क करे : डॉ. रवि शर्मा - 09414409284 अलका बिड़ला - 08949846297, 09587577396 आचार्य भारती गुप्ता - 09814798184 आचार्य अजय कश्यप - 09990970001 आचार्य बलबीर कौर - 09818412385 आचार्य केतन तलसानिया...
read moreहिन्दू धर्म के चार युग और उनकी विशेषताएं | Four Yuga in Hindu Dharma
हिन्दू धर्म के चार युग और उनकी विशेषताएं | Four Yuga in Hindu Dharma शास्त्रो से ............ 🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮🔮 Four Yuga in Hindu Dharma – ‘युग’ शब्द का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। जैसे कलियुग, द्वापरयुग, सत्ययुग, त्रेतायुग आदि । यहाँ हम...
read moreगंगा दशहरा (दशमी) – 04 जून 2017
आलेख - डॉ. रवि शर्मा संपादक - ज्योतिष सम्राट पंचांग, जयपुर। चार महालाभकारी सुयोगो से युक्त महाफलदायी गंगा दशहरा (दशमी) - 04 जून 2017, इसी दिन पृथ्वी पर गंगा माँ का अवतरण हुआ था। 1. अमृतसिद्धि योग - प्रातः 05:37 से दोपहर 03:24 तक 2. रवि योग - प्रातः 05:37 से दोपहर...
read moreश्री हनुमान चालीसा
श्री हनुमान चालीसा ॥दोहा॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥ ॥चौपाई॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥ राम दूत...
read moreपापमोचिनी एकादशी
युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से चैत्र (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार फाल्गुन ) मास के कृष्णपक्ष की एकादशी के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की तो वे बोले : ‘राजेन्द्र ! मैं तुम्हें इस विषय में एक पापनाशक उपाख्यान सुनाऊँगा, जिसे चक्रवर्ती नरेश मान्धाता के पूछने पर...
read moreश्री काली जगन्मंगल कवचम्
।।श्री दक्षिणाकाली प्रसन्नोस्तु।। . श्री काली जगन्मंगल कवचम् श्री भैरव्युवाच काली पूजा श्रुता नाथ भावाश्च विविधाः प्रभो । इदानीं श्रोतु मिच्छामि कवचं पूर्व सूचितम् ॥ त्वमेव शरणं नाथ त्राहि माम् दुःख संकटात् । सर्व दुःख प्रशमनं सर्व पाप प्रणाशनम् ॥ सर्व सिद्धि प्रदं...
read moreगुण मिलान की वैज्ञानिक व्याख्या
गुण मिलान की वैज्ञानिक व्याख्या प्राचीन विद्वानों ने वर वधू के सफल वैवाहिक जीवन के लिया मेलापक को महत्वपूर्ण माना है. मेलापक से वर वधू की शारीरिक व मानसिक स्थिति के साथ दोनों के विचार गुण अवगुण जनन शक्ति स्वास्थ्य शिक्षा व संभावित आर्थिक स्थिति आदि के बारे में जान...
read moreरुद्राक्ष धारण करने के फायदे और मंत्र
रुद्राक्ष धारण करने के फायदे और मंत्र 1- एक मुखी रुद्राक्ष लक्ष्मी प्राप्ति के साथ ही भोग और मोक्ष की कामना करनेवालों को एकमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और इसे धारण करने का मंत्र है ऊँ ह्रीं नम: 2- दो मुखी रुद्राक्ष समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए दो मुखी रुद्राक्ष...
read moreउत्तम संतान प्राप्ति के लिए
उत्तम संतान प्राप्ति के लिए किसी भी देश का भविष्य बालकों पर निर्भर करता है जो दम्पति सुविचारी, सदाचारी एवं पवित्रात्मा हैं तथा शास्त्रोक्त नियमों के पालन में तत्पर हैं ऐसे दम्पति के घर में दिव्य आत्माएँ जन्म लेती हैं ऐसी संतानों में बचपन से ही सुसंस्कार, सदगुणों के...
read moreकालगणना और इसके मात्रक : Chronology and its Units
कालगणना और इसके मात्रक : (Chronology and its Units) 6 प्राण (Breath) = 1 पल (विनाडी) = 24 Seconds 60 पल (विनाडी) = 1 नाडी (= घटी = घड़ी) = 24 Minutes 2 घटी = 1 मुहूर्त्त = 1 क्षण = 48 Minutes 60 नाडी (घटी) = 30 मुहुर्त्त = 1 अहोरात्र = 24 Hours 7 अहोरात्र = 1 सप्ताह...
read moreकुण्डली के अशुभ योगों की शान्ति
*कुण्डली के अशुभ योगों की शान्ति* 1).चांडाल योग=गुरु के साथ राहु या केतु हो तो जातकको चांडाल दोष है 2).सूर्य ग्रहण योग=सूर्य के साथ राहु या केतु हो तो 3). चंद्र ग्रहण योग=चंद्र के साथ राहु या केतु हो तो 4).श्रापित योग -शनि के साथ राहु हो तो दरिद्री योग होता है...
read moreगायत्री मंत्र क्यों और कब ज़रूरी है ?
गायत्री मंत्र क्यों और कब ज़रूरी है ☀सुबह उठते वक़्त 8 बार ❕✋✌👆❕अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !! 🍚🍜 भोजन के समय 1 बार❕👆❕ अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए !! 🚶 बाहर जाते समय 3 बार ❕✌👆❕समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए !! 👏 मन्दिर में 12 बार ❕👐✌❕ प्रभु के गुणों को याद करने...
read moreगायत्री मन्त्र
गायत्री मन्त्र गायत्री मन्त्र १ . ॐ तत् पुरुषाय विद्महे , वक्र तुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात । ( गणेश गायत्री ) २ . ॐ नारायणाय विद्महे , वासुदेवाय धीमही तन्नो विष्णु प्रचोदयात् । ( विष्णु गायत्री ) ३ . ॐ तत् पुरुषाय विद्महे , महादेवाय धीमहि तन्नौ रुद्र...
read moreश्रीसूक्तम्
श्रीसूक्तम् आनन्दकर्दम चिक्लीत जातवेद - ऋषि श्री देवता , १ - ३ अनुष्टुप् ४ प्रस्तारपंक्ति ५ - ६ त्रिष्टुप् और १५ प्रस्तारपंक्ति छन्द हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम् । चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१॥ हे अग्निदेव । सुवर्ण के समान वर्णवाली , हरिणी...
read moreघर में कहाँ और कैसा हो बच्चों के रहने और पढ़ने का स्थान ?
घर में कहाँ और कैसा हो बच्चों के रहने और पढ़ने का स्थान? हमारे घर में प्रायः बच्चों अथवा किशोरवय युवाओं के लिए घर में एक कक्ष होता है जहाँ वह आराम के साथ-साथ अपनी पढ़ाई-लिखाई करते हैं । पर आज के युग में सबके पास बच्चों के लिए अलग कक्ष हो यह जरूरी नहीं, अगर हम धनाढ्य...
read moreदेवी अर्गलास्तोत्रम्
।। देवी अर्गलास्तोत्रम् ।। ॐ अस्य श्रीअर्गलास्तोत्रमंत्रस्य विष्णुर्ऋषिः अनुष्टुप्छन्दः श्री महालक्ष्मीर्देवता, श्री जगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङग्त्वेन जपे विनियोगः ॐ नमश्चण्डिकायै ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा...
read moreGeo Pathic Stress
Geo Pathic Stress ( line ) अर्थात धरती के गर्भ से आने वाला एक ऐसा नुकसानदायक रेडिएशन (Radiation) जो वनस्पति, जिव एवं सकारात्मक ऊर्जा को दूषित कर नकारात्मक (Negative Energy) को निरंतर बढ़ाता रहता है। वैज्ञानिक शोध से इसकी उत्पत्ति का कारण भूगर्भ में धरती की चट्टानों के...
read moreग्रह-दशा फल नियम
ग्रह-दशा फल नियम (1) ग्रह कब ? कैसे ? कितना ? फल देते हैं इस बात का निर्णय दशा अन्तर्दशा से किया जाता है। (2) दशा कई प्रकार की हैं, परन्तु सब में शिरोमणि विंशोत्तरी ही है। (3) सबसे पहले कुंडली में देखिये की तीनो लग्नों ( चंद्र लग्न, सूर्य लग्न, और लग्न ) में कौन- सी...
read moreमाघ गुप्त नवरात्रि 2017
माघ गुप्त नवरात्रि 2017 प्रत्येक वर्ष आने वाले दो नवरात्रों से तो आप सभी लोग परिचित हैं लेकिन इनके अलावा प्रत्येक वर्ष दो और नवरात्री होती हैं जिन्हें गुप्त नवरात्री कहा जाता है। पूर्व काल में इनका ज्ञान केवल उच्च कोटि के साधकों को होता था जो इस समय का उपयोग विशिष्ट...
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