मकान बनवाया या बना -बनाया मकान, खरीदा उसे सजाने -सवारने  अदि के लिए काफी पैशा खर्च किया, फिर भी मकान में रहने वालो को सुख-शांति नहीं मिली। न घर में धन- दोलत की बरकत है ना कुटुम्बियों में परस्पर प्रेम का भाव। नित्य कोई न कोई झगड़ा होता है,,,,, कोई न कोई बीमार रहता है । एसा क्यों ?
कुछ मकान एसे होते हैं जो आशांत होते है और निवास के योग्य नहीं होते। कुछ मकानों में रहने वालों के बिच शांति , प्रगति का अखंड रूप से झरना बहता ही रहता है, तो कुछ मकान अशांति, भय, दुःख  एवं क्लेश उत्पन्न करते हैं। नए मकान में जाने से पूर्व पुराने मकान में दो छोटे- छोटे कमरों में गृहस्थी आनंद से कट रही  थी,  लेकिन नए मकान में निवास करने के लिए जअने कइ बाद कष्ट क्यों पहुँचते हैं? एसी समस्याएं सभी को व्यथित करती हैं।
इसका एकमात्र कारन घर में वास्तु दोष का होना है। वह मकान वास्तुशास्त्र के नियम- सिद्धांत के अनुसार नहीं बना है।
काल, समय एवं परिस्थिति – इन तिन बातों का विचार करने पर यह महशुश होता है की आज के अस्थिर एवं महंगाई के युग में पूर्णतया वास्तुशास्त्र के नियमानुसार मकान बनवाना किसी के लिए संभव नहीं हैं। स्वतंत्र मकान या बंगला बनाने के बजाय सोसायटी में फ्लेट लेना ही आज श्रेस्कर समझा जाता है। इश वस्तुस्थिति को नकारा नहीं जा सकता । बिल्डर जमींन पर  बहुमंजिले फलेट बनाकर बेचते हैं। फ्लेट्स बनाते समय ये वास्तुशास्त्र के नियमो का पालन नहीं करते। कम से कम जगह में अधिक सुख- सुबिधायें देने में उनको आर्थिक लाभ होता है। यही कारन है की  वास्तुशिल्पी ( आर्किटेक्ट ) वास्तुशास्त्र के नियमों के पालन की तरफ ध्यान नहीं देते।
ग्रहों की प्रतिकूलता के परिणाम सभी को भोगने पड़ते है जिस प्रकार मानव जीवन पर ग्रहों के शुभाशुभ परिणाम होते हैं, उसी तरह अचल वस्तुओं पर भी ग्रहों के एसे ही परिणाम होते हैं। जिसका आकार होता है उसका भाग्य होता है । कुछ पत्थरों से भगवन की मूर्तियाँ बने जअति हैं और लोग श्रद्धा से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं कुछ पत्थरों से कब्रें बनती हैं तो कुछ पत्थर अन्दाता रसोई घर के चोके पर विराजमान होते हैं । कुछ पत्थर स्नानगृह के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं, तो कुछ पत्थर टायलेट के लिए। यह सब क्या है। इसका स्पस्ट अर्थ है- चल हो या अचल भाग्य सबका होता है। उनपर भी ग्रहों का प्रभाव पड़ना अनिवार्य है। पत्थर, ईंट ,  मिटटी , लकड़ी , लोहा, सीमेंट इत्यादि से इमारतें तथा मकान बनते है तो उनका भाग्य क्यों ना होगा!
जिश घर में हम रहते हैं , अपनी आजीविका और गृहस्थी चलाते हैं, वह हमारे लिए लाभप्रद सिद्ध होगा या नहीं? – यह बात सर्वप्रथम परखनी चाहिए । घर में कोई वास्तु दोष हो तो उनके निवारण के लिए आवस्यक सभी उपाय करने चाहिए । इन दोषों की शांति नहीं हुई तो उश घर में सुख मिलना असंभव है। दोषपूर्ण निर्माण में रहने वालों के भाग्योदय में तमाम अडचनें आती है

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