तंत्र में जड़ों का महत्त्व
कुछ विशेष पौधों की जड़ें भी वही कार्य करती
हैं जो कि रत्न और रुद्राक्ष करते हैं। विधि पूर्वक
धारण की गई जड़ें अनेक विघ्न -बाधाओं का
निवारण करती हैं। इसकी जिज्ञासा और खोज
प्राचीनकाल से चली आ रही है। हां, जब भी
कोई जड़ धारण किया जाए तो वातावरण की
पवित्रता पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। अगर
पौधे की जड़ पवित्र स्थान से लाई गई है तो वह
अधिक असर करेगी। वैसे देखा जाए तो रत्नों से
अधिक जड़ों में जीवनी शक्ति है…
ब्रह्मांड में स्थित सभी ग्रहों , नक्षत्रों और राशियों
का प्रभाव मानव जीवन तथा पृथ्वी पर रहने वाले
समस्त प्राणियों पर पड़ता ही है। अनिष्ट ग्रहों
की शांति के लिए हम रत्न और रुद्राक्ष धारण करते
हैं पर कुछ ही लोग यह जानते होंगे कि कुछ विशेष
पौधों की जड़ें भी वही कार्य करती हैं जो कि रत्न
और रुद्राक्ष करते हैं। जड़ों का एक लाभ यह भी
होता है कि ये रत्नों की अपेक्षा सस्ती हैं और
प्रकृति प्रेमी व्यक्ति इनको आसानी से पहचान
इनका लाभ उठा सकते हैं। भारत वन्य संपदा की
दृष्टि से बहुत संपन्न देश है। यहां की प्राकृतिक
विविधता विदेशियों को आश्चर्यचकित कर देती
है। दुर्भाग्यवश भारतीय अपनी इस संपदा के प्रति
बहुत सजग नहीं हैं और इनसे जुड़ी जानकारियों को
विस्मृत करते जा रहे हैं। वृक्षों से परिचय ग्रह-
नक्षत्रों की अनेक बाधाओं को शांत करने में सक्षम
हैं। विधि पूर्वक धारण की गई जड़ें अनेक विघ्न –
बाधाओं का निवारण करती हैं। इसकी जिज्ञासा
और खोज प्राचीनकाल से चली आ रही है। हां , जब
भी कोई जड़ धारण किया जाए तो वातावरण की
पवित्रता पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। अगर पौधे
की जड़ पवित्र स्थान से लाई गई है तो वह अधिक
असर करेगी। वैसे देखा जाए तो रत्नों से अधिक जड़ों
में जीवनी शक्ति है। यह अवश्य पता कर लें कि किस
ग्रह के लिए कौन सी जड़ उपयुक्त है कुछ उदाहरण
निम्न हैं।
1-मेष -अनंत मूल
2-वृष – वृषला मूल
3-मिथुन- विधारा
4-कर्क -सप्तशतावरी
5-सिंह -बेल की जड़
6-कन्या -विधारा
7-तुला -वृषला मूल
8-वृश्चिक- अनंत मूल
9-धनु – कच्ची हल्दी
10-मकर -बिछुआ
11-कुंभ -बिछुआ
12- मीन- कच्ची हल्दी
जड़ प्राप्त करने की विधि – पुष्य नक्षत्र या
किसी भी शुभ मुहूर्त में जिस वृक्ष या पौधे की जड़
लानी हो , उसके पास जा कर उसे जल से भरपूर
सिंचित करें । सुगंधित धूप दें तथा हाथ जोड़कर
प्रार्थना करें कि कल मैं तुम्हें लेने आऊंगा। दूसरे दिन
वहां जाकर किसी लकड़ी से खोद कर जड़ लाना
चाहिए । ग्रहों की शांति के लिए जड़ों क ी
धारण विधि भी समझ लेना आवश्यक है । सूर्य के
लिए बिल्व की जड़ रविवार को गुलाबी डोरे में
बांध कर धारण करें। चंद्रमा के लिए खिरनी की जड़
सोमवार को सफेद ऊन के धागे में लपेट कर धारण करें
। मंगल के लिए अनंत मूल की जड़ लाल डोरे में बांध
कर पहनें तथा बुध की शांति के लिए विधारा की
जड़ हरे धागे में बांध कर धारण करें । गुरु के लिए केले
की जड़ पीले डोरे में बृहस्पतिवार को धारण करें।
शुक्र के लिए सरपंखे की जड़ शुक्रवार को सफेद धागे
में लपेट कर पहनें। शनि की शांति के लिए बिच्छू
बूटी की जड़ शनिवार के दिन काले डोरे में लपेट कर
गले में धारण करें। राहु के लिए चंदन की जड़ नीले डोरे
में बांध कर बुधवार को पहनें तथा केतु की शांति के
लिए असगंध की जड़ आसमानी डोरे में बांध गुरुवार
के दिन धारण करें। तंत्र शास्त्र में कुछ खास जड़ी –
बूटियों को विधि पूर्वक धारण करने से
चामत्कारिक परिणाम मिलते हैं ।
काले धतूरे की जड़ – इसका पौधा सामान्य धतूरे
जैसा ही होता है, हां इसके फूल अवश्य सफेद की
जगह गहरे बैंगनी रंग के होते हैं तथा पत्तियों में भी
कालापन होता है। इसकी जड़ को रविवार
,मंगलवार या किसी भी शुभ नक्षत्र में घर में लाकर
रखने से घर में ऊपरी हवा का असर नहीं होता , सुख –
चैन बना रहता है तथा धन की वृद्धि होती है।
रक्तगुंजा की जड़- रक्तगुंजा को लगभग सभी लोग
जानते होंगे । इसे रत्ती भी कहते हैं क्योंकि इसका
वजन एक रत्ती के बराबर होता है और किसी समय
इससे सोने की तौल की जाती थी। इस पौधे की
जड़ रवि पुष्य के दिन , किसी भी शुक्रवार को
अथवा पूर्णिमा के दिन निर्मल भाव से धूप – दीप से
पूजन कर उखाड़ें और घर में लाकर गाय के दूध से धो
कर रख दें। इस जड़ का एक भाग अपने पास रखने से
सारे कार्य सिद्ध होते हैं। मान -सम्मान में वृद्धि
होती है।
श्वेतार्क की जड़ – श्वेतार्क को साक्षात गणपति
माना गया है। इसे भी आमंत्रित कर शुभ मुहूर्त में
लकड़ी से खोद कर निकालें तथा तेल और सिंदूर लगा
कर घर में रखें। इससे मान व प्रसिद्धि मिलती है। रोज
पूजा करते समय श्री गणेशाय नमः का पाठ करें।
कभी- कभी ऐसी ही जड़ स्वतः गणेश की मूर्ति का
आकार ले लेती है। जिसे ऐसी जड़ मिल जाए उसे
अपना सौभाग्य मानना चाहिए।

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